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शशांक किशोर 3y

इंग्लैंड दौरे से टेस्ट क्रिकेट में वापसी चाहते हैं केएल राहुल

India tour of England 2021, Cricket

केएल राहुल ने अपना अंतिम टेस्ट शतक सितंबर 2018 में इंग्लैंड के द ओवल मैदान में बनाया था। उन्होंने उस पारी से पहले नौ पारियों में सिर्फ 150 रन बनाए थे और टीम में उनका स्थान खतरे में था। लेकिन उन्होंने टेस्ट मैच के अंतिम दिन 149 रन की आकर्षक पारी खेली और ऋषभ पंत के साथ मिलकर लगभग वह टेस्ट जीता ही दिया था। राहुल इस बार अधिक शांत और दृढ़निश्चयी नज़र आ रहे हैं हैं और उन्हें टीम से बाहर होने की चिंता भी इस बार कम है।

BCCI.tv से बातचीत में उन्होंने कहा, "जब मुझे 2018 में ड्रॉप किया गया था, तो मुझे कोच के पास वापस जाना पड़ा। मैंने बहुत सारे वीडियो देखे कि मैं कहां गलती कर रहा हूं और उसे ठीक करने की कोशिश की। जैसा कि कहते हैं, असफलता आपको और मजबूत बनाती है, मैं भी मजबूत हुआ हूं। मैं मौके की तलाश में हूं और खुद को बहुत शांत और अनुशासित रखने की कोशिश कर रहा हूं।"

पिछली बार की तरह केएल राहुल एक ओपनर की तरह नहीं बल्कि एक मध्यक्रम के बल्लेबाज़ के रूप में शामिल हुए हैं। 4 अगस्त से शुरू हो रहे ट्रेंटब्रिज टेस्ट से पहले अगर अजिंक्य रहाणे हैमस्ट्रिंग की चोट से उबर नहीं पाते हैं तो राहुल टीम में शामिल हो सकते हैं।

राहुल ने कहा, "मुझे याद है कि ओवल में पूरी सीरीज़ के दौरान में हमें सबसे अच्छी बल्लेबाजी पिच मिली थी। मेरे दिमाग में यह भी चल रहा था कि यह सीरीज़ का आखिरी मैच है और मैंने अभी तक अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। इसलिए मुझे अगली सीरीज़ में मौका नहीं मिलने वाला था, यह भी मेरे दिमाग में चल रहा था।"

"इसलिए मैं उस आख़िरी मौके का संपूर्ण फायदा उठाना चाहता था और साथ ही साथ अपनी बल्लेबाज़ी को एन्जॉय भी करना चाहता था। मुझे लगा कि मेरे लिए यह आख़िरी मौका है। अगर मैं और ऋषभ एक घंटे और पिच पर रूक जाते, तो हम निश्चित रूप से वह टेस्ट मैच जीत सकते थे। यह ऐतिहासिक होता। लेकिन फिर भी ओवल मेरे दिल के बहुत करीब है।"

राहुल ने पिछले 18 महीनों में केवल दो प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। लेकिन पिछले हफ्ते काउंटी सेलेक्ट इलेवन के ख़िलाफ़ शतक लगाकर उन्होंने टेस्ट में वापसी की उम्मीद जगा दी है। राहुल ने अपना आख़िरी टेस्ट अगस्त-सितंबर 2019 में वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ खेला था, जब भारत ने अपने विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप अभियान की शुरुआत की थी। तब से उन्होंने सिर्फ सीमित ओवर क्रिकेट खेला है।

हाथ की चोट के कारण वह दिसंबर-जनवरी में ऑस्ट्रेलिया दौरे और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ का हिस्सा नहीं बन पाए थे। मई में आईपीएल के दौरान उन्हें एपेंडिसाइटिस की सर्जरी करानी पड़ी थी। अब इंग्लैंड के अपने दूसरे दौरे पर राहुल को लगता है कि वह अब अपने खेल के बारे में अधिक वाकिफ़ हैं।

उन्होंने अभ्यास मैच में लगाए गए शतक के बारे में कहा, "सफेद कपड़ों में रन बनाना हमेशा अच्छा होता है। मुझे लाल गेंद का खेल खेले हुए कुछ समय हो गया है, इसलिए पिच पर रूकना और रन बनाना सुखद था। इस फ़ॉर्मेट में धैर्य रखना और अपनी बारी का इंतजार करना बहुत महत्वपूर्ण है। मैं लगातार अपने खेल पर काम कर रहा हूं।"

"मैं हमेशा से आत्मविश्वासी रहा हूं और मैंने आत्मविश्वास के बारे में कभी चिंता नहीं की है। यह मेरा आत्मविश्वास ही है जिससे मैं अभी तक इस खेल में टिका हुआ हूं। लेकिन यह खेल शांत दिमाग से अपनी गलतियों से सीखने के बारे में भी है। मैं बस अपने खेल का आनंद ले रहा हूं। मैंने गलतियां की हैं, लेकिन मैंने उनसे सीखा भी है। मैं मजबूत होता गया हूं। जैसा कि मैंने कहा कि यह फिर से एक अच्छा मौका है और मुझे उम्मीद है कि मैं टीम के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगा।"

डरहम में अभ्यास मैच के दौरान राहुल पर विकेटकीपिंग की अतिरिक्त जिम्मेदारी थी, क्योंकि पंत और रिद्धिमान साहा कोविड -19 प्रोटोकॉल के कारण उपलब्ध नहीं थे। हालांकि यह राहुल के लिए कोई नई बात नहीं है। जब भी उन्हें यह जिम्मेदारी मिली है, उन्होंने इसे बखूबी निभाया है।

उन्होंने कहा, "यह मेरे विकेटकीपिंग स्किल को परखने का अच्छा मौका था। इस अतिरिक्त जिम्मेदारी ने मुझे वास्तव में परेशान किया है। (मजाक में हंसते हुए) लेकिन यह जिम्मेदारी मुझे खेल में बने रहने का अच्छा मौका देता है। जब आप विकेटकीपिंग करते हैं, तो आपको हमेशा अपना ध्यान बनाए रखने की जरूरत होती है और आप हर समय खेल में ही रहते हैं। इसलिए, मैंने इसका काफी आनंद लिया।"

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