भारत 3 विकेट पर 146 (कोहली 44*, जैमीसन 1-14) बनाम न्यूजीलैंड
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के पहले दो दिनों में दो सत्रों से थोड़ा अधिक समय तक क्रिकेट चला लेकिन दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने इस छोटे से अवसर में उच्च गुणवत्ता वाले क्रिकेट खेलने का प्रयास किया। पहले दिन के धुल जाने के बाद खराब रोशनी के कारण दूसरे दिन का खेल 64.4 ओवर में सिमट गई। हालांकि भारत ने एक बेहतरीन पेस अटैक के खिलाफ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बढ़िया खेल दिखाया। दिन का खेल खत्म होने तक भारत का स्कोर 3 विकेट पर 146 रन था।
रोहित शर्मा और शुभमन के बीच 62 रनों के शुरुआती स्टैंड के बाद न्यूजीलैंड का हाल और भी ज्यादा बुरा हो सकता था क्योंकि टिम साउथी और ट्रेंट बाउल्ट की शुरुआत बेहद उदासीन रही। दिन के अंत में विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे फीकी रोशनी में बढ़िया बल्लेबाज़ी करने में कामयाब रहे। इनदोनों बल्लेबाजों अपने शॉट्स शरीर से काफी करीब खेल रहे थे और काफी समय लेकर खेल रहे थे। एक स्विगिंग पिच पर न्यूजीलैंड के गेंदबाज़ों ने काफी कम खराब गेंदे फेंकी और भारतीय बल्लेबाज़ों को आसानी से रन बनाने का मौका नहीं दिया।
रहाणे और कोहली के बीच टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा अर्धशतकीय साझेदारी का रिकॉर्ड बना। आज का दिन ऐसे दिनों में से था जिसमें टॉस हारने वाली टीम को फायदा मिला। यह तय था कि जो भी टीम टॉस जीतेगी वो गेंदबाज़ी करना पसंद करेगी। हालांकि एक खबर यह भी है कि अगले दो दिनों के लिए भी मौसम का अनुमान ज्यादा सही नहीं है।सिक्का केन विलियमसन के पक्ष में गिरा लेकिन उनके शुरुआती गेंदबाजों पिच के स्विगिंग कंडीशन का फायदा उठाने में नाकामयाब रहे। हालांकि इसका श्रेय भारतीय बल्लेबाज़ो को भी जाता है। गिल लगातार एक अलग ही अंदाज में कदमों का इस्तेमाल करते हुए स्विंग को दबाने का प्रयास करते रहे और उसमें काफी सफल भी रहे। इसके बाद जब गेंद की लेंथ को छोटा किया गया तो उसका स्वागत गिल ने पुल लगा कर किया। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में न्यूजीलैंड की गेंदबाज़ी सबसे ज्यादा किफायती रही है।
भारतीय बल्लेबाज़ों ने क्रीज पर पहले थोड़ा समय बिताने का निर्णय लिया और फिर उसके उन्होंने रन बनाना शुरू किया। टीम साउदी और बोल्ट लगातार बेहतर लेंथ और स्विंग की तलाश करते रहे ताकि उन्हें विकेट मिल सके लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। पहले कुछ ओवरों के बाद जब गिल और रोहित ने रन बनाना शुरू किया तब न्यूजीलैंड के गेंदबाज़ों का लय बिगड़ गया। 10 ओवर की समाप्ति पर भारत का स्कोर बिना कोई गंवाए 37 रन था। पारी का पहला मेडेन ओवर 12वें ओवर में आया और यह जेमिसन ने डाला। इसके ठीक बाद ग्रैंडहोम ने भी एक और मेडन ओवर डाला।
जेमिसन ने भारत को पहला झटका दिया। रोहित शर्मा ने पहली बार इस पारी में अपने शरीर से दूर गेंद को खेलने का प्रयास किया और टीम साउदी को एक बाहर जाती हुई गेंद पर अपना कैच थमा बैठे। इस वक्त भारत का स्कोर 62 रन था। पिछले एक दशक में भारतीय बल्लेबाज़ो का इंग्लैंड यह सबसे बड़ी ओपनिंग साझेदारी थी।
भले ही नील वैगनर को अंतिम एकादश में शामिल किए जाने पर कई प्रश्न उठाए जा सकते हैं क्योंकि गर्मियों में शायद ही वैगनर की बाउंसर गेंदों वाली रणनीति काम करता। हालांकि वैगनर ने अपने पहले स्पेल के तीसरे ही गेंद पर बढ़िया बल्लेबाज़ी कर रहे गिल को पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। भारत एक रन के अंतराल पर दो विकेट खो चुका था।
लंच के पहले और बाद में गेंदबाज़ो ने आकर्षक स्पेल डाला। चेतेश्वर पुजारा अपने चिर-परिचित अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करना शुरू कर चुके थे और उन्हें अपना खाता खोलने में 36 गेंदें लग गई। हालांकि वैगनर के द्वारा फेंकी जा रही बाउंसर पर उन्होंने अपर-कट और हुक करने का भी इरादा दिखाया। दूसरे छोर पर, विराट कोहली (जिन्होंने सबसे तेज और सबसे डरावने गेंदबाजों में महारत हासिल की है) को अपने अटैकिंग शैली को निगल कर डी ग्रैंडहोम को बड़े ही संयम के साथ खेलना पड़ा। ग्रैंडहोम ने कम गति के साथ काफी किफायती गेंदबाजी की। उनकी गेंदे लगातार बढ़िया लेंथ पर गिर रही थी और काफी स्विंग भी हो रही थी।
कोहली ने डी ग्रैंडहोम की 21 गेंदों का सामना कर के सिर्फ चार रन बनाया लेकिन एक बार भी उनके गेंद को ग्राउंड से बाहर मारने की कोशिश नहीं की। पुजारा ने जैमीसन को काफी अच्छे तकनीक के साथ खेला। इसके बाद वैगनर उन्हें लगातार बाउंसर डालने लगे। वैगनर की एक गेंद को हुक करने के प्रयास मे हेलमेट में चोट खा बैठे। इस तरीके से शॉर्ट गेंद को पुजारा कभी हुक नहीं करते हैं। हालांकि वैगनर की लगातार शॉर्टपिच गेंदो ने उन्हें थोड़ा-मोड़ा परेशान कर दिया था। हालाँकि पांच तेज गेंदबाजों के आक्रामक आक्रमण के साथ न्यूजीलैंड लगातार भारतीय बल्लेबाज़ो से कठिन सवाल पूछता रहा। वैगरन के बाद अगला स्पेल बोल्ट का था, जिन्होंने पुजारा को भारत के बाहर 48 रन देकर चार बार आउट कराया था। उन्होंने पुजारा को पहली गेंद फेंकी जो बिल्कुल सही लेंथ पर थी और इसके साथ ही बोल्ट की अंदर आती हुई गेंद को पुजारा पढ़ने में नाकामयाब रहे और पगबाधा आउट हो गए।
रहाणे अक्सर अपनी पारी के शुरुआती पलों में थोड़ी कमजोर बल्लेबाज़ी करते हैं लेकिन उन्हें पहली गेंद लेग साइड लेग साइड में पैरों पर एक उपहार स्वरूप मिला, जिसे फ्लिक करके उन्होंने अपना खाता खोल लिया। कुछ एक ऐसे पहल भी आए जब वो रन आउट हो सकते थे और कई बार वो बीट भी हो सकते थे। हालांकि आज के दिन का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ पिच के दूसरे छोर पर खड़ा था।
कैलेंडर पर भले ही कोहली को अंतरराष्ट्रीय शतक बनाए 18 महीने हो गए होंगे लेकिन उन्होंने इस समय अवधि बढ़िया बल्लेबाजी की है और उनका फॉर्म अब भी बरकरार है। ये उन्होंने आज दिखा दिया। शुरुआती पलों के बाद कोहली ने साउदी के आउट स्विंग गेंदो को रन के लिए खेलना शुरू कर दिया। कोहली सभी गेंदबाज़ो के खिलाफ नियंत्रण में दिखे। न्यूजीलैंड का प्लान उनको रन बनाने से रोकने की थी। कवर-ड्राइव और मिडविकेट एरिया में फ्लिक शॉट खेलने से रोकने के लिए प्लेयर लगाए गए थे। इसलिए कोहली को अपने शॉट्स खेलने के लिए खराब गेंदों का इंतजार करना पड़ा। हालांकि कोहली पंच और पुश कर के प्वाइंट क्षेत्र में लगातार रन बनाते रहें। परिस्थितियों ने कोहली के सर्वश्रेष्ठ से कम कुछ भी नहीं मांगा।
इस टेस्ट में लगभग 1 दिन और कुछ घंटो का खेल पहले ही गंवा दिया गया है। हालांकि अभी भी काफी टाइम है और अगर आने वाले दिनों में रोज आधा घंटा का ज्यादा खेल हो तो ये समय मेनेज किया जा सकता है। हालांकि आगे अगर कोई भी रुकावट आती है तो हम इस ऐतिहासिक पल को एक बढ़िया अंत नही दे पाएंगे और आने वाले दिनों में यह हमारे लिए एक शर्म का विषय होगा।