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हेडिंग्ले की पराजय के बाद भारत की वापसी का रास्ता मुश्किल : चैपल

James Anderson leaps in celebration after dismissing Virat Kohli PA Images via Getty Images

आठ महीनों के अंतराल में भारतीय टीम दो बार कम स्कोर पर ऑल आउट हो गई। एडिलेड में ऑस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ पहले सिर्फ़ 36 रनों के कुल योग पर पूरी टीम बिखर गई थी और अब हेडिंग्ले में पहली पारी के दौरान भारतीय टीम सिर्फ़ 78 रन बना कर धराशायी हो गई।

हेडिंग्ले में भारतीय टीम का यह कोलैप्स जेम्स एंडरसन की बेहतरीन गेंदबाज़ी का नतीजा था जो अपने समय के सबसे उम्दा गेंदबाज़ों में से एक हैं और अपने काम को काफ़ी बेहतरी से जानते हैं। गेंद को लगातार बाहर और अंदर की तरफ मूव कराने की क्षमता शायद उनको अपने लक्ष्य तक पहुंचाने में काफ़ी कारगर साबित होता है। जिस तरीके से किसी भी बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़, वह एक बेहतरीन प्लान के साथ गेंदबाज़ी करते हुए सेट अप बनाते हैं, वो किसी भी बल्लेबाज़ को आउट करने के लिए काफ़ी होता है। उनका लंबा करियर और इतने सालों तक गेंद को दोनों ओर लहराने की कला उन्हें स्विंग बोलर की गिनती में एक अलग ही स्थान पर रखा जाता है।

बॉब मैसी ने 1972 में लॉर्ड्स में स्विंग गेंदबाज़ी का मास्टरक्लास पेश किया था। उन्होंने डेब्यू मैच पर 16 विकेट लिए थे और शानदार स्विंग गेंदबाज़ी से इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। उनके इस प्रदर्शन को मुझे सामने से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।

ऐसे और भी मौके आए जब मैसी ने लगातार गेंद को स्विंग कराया और बल्लेबाजों को परेशान किया लेकिन उनका टेस्ट करियर उनके लॉर्ड्स में किए गए शानदार गेंदबाज़ी प्रदर्शन के बाद, 200 दिनों से भी कम समय में ख़त्म हो गया था।

एंडरसन ने इसे 166 टेस्ट में सफलतापूर्वक किया है, जिसमें उनकी स्विंग गेंदबाज़ी के वर्चस्व का कोई अंत नहीं है। भारत के शीर्ष क्रम को 39 वर्षीय गेंदबाज़ ने पूरी तरीक़े सेनेस्तनाबूद कर दिया, लेकिन जब आप किसी चैंपियन के आगे झुक जाते हैं या उससे हार जाते हैं तो इसे स्वीकार करना काफ़ी आसान होता है।

जिस विकेट के पतन ने वास्तव में भारत को बैकफुट पर ला दिया, वह उनके कप्तान विराट कोहली का था। यह सातवीं बार था जब एंडरसन ने टेस्ट मैचों में कोहली को आउट किया। कोहली को पता था कि उनको आउट करने के लिए एंडरसन कैसा सेट-अप तैयार कर रहे हैं। उनका प्लान क्या है। और यह जानने के बावज़ूद कोहली एंडरसन के उस चक्रव्यूह से पार पाने में असमर्थ थे।

मेरे रिटायरमेंट के बाद कई क्रिकेटरों ने मुझसे कहा कि "आप जॉन स्नो की गेंदों पर कई बार आउट हुए।" मेरा हमेशा यह जवाब रहता था कि "कम से कम मैं एक ऐसे गेंदबाज़ के सामने आउट हुआ जो सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक था।"

ऐसा नहीं है कि यह कोई सांत्वना है, लेकिन कोहली की भी ऐसी ही भावनाएं होंगी। इसका कारण यह भी है कि कोहली, भारतीय लाइन-अप में सबसे अहम बल्लेबाज़ हैं और उन्हें एंडरसन का नियमित रूप से सामना करना है।

78 रन पर आउट हो जाना एक अच्छा एहसास नहीं होता है। 1968 में लॉर्ड्स में मैंने भी यह झेला है। हालांकि उस समय ऑस्ट्रिलिया के पास कम से कम एक बहाना यह था कि वह एक गीली पिच पर बल्लेबाज़ी कर रहा था।

इतने सस्ते में आउट होने के बाद, भारत के पास एकमात्र आस यही थी कि उनके गेंदबाज़ों को जल्दी और प्रभावी ढंग से वापसी करना होगा। उन परिस्थितियों में किसी एक प्रमुख गेंदबाज़ को बढ़िया प्रदर्शन करते हुए सामने आना पड़ता है ताकि आप प्रतियोगिता में ख़ुद को बनाए रखें।

1976-77 के दौरान वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के पास जिलेट कप के सेमीफ़ाइनल में एक सुपर मैन था, जब वैका की पिच पर क्वींसलैंड को सिर्फ 78 रनों के लक्ष्य को प्राप्त करना था।

जब वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया मैदान पर गेंदबाज़ी करने के लिए आ रहे थे तो उनके कप्तान रॉड मार्श ने अपने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, "मैदान पर काफ़ी दर्शक मौज़ूद हैं, चलो उन्हें कुछ मनोरंजन करवाते हैं।" अपने कप्तान को पीछे छोड़ते हुए, डेनिस लिली ड्रेसिंग रूम के दरवाज़े पर पहुंचे और कहा, "मनोरंजन के बारे में चिंता मत कीजिए। चलिए मैच जीतते हैं।"

करनी और कथनी में एक फ़र्क ज़रूर है लेकिन लिली ने ऐसा कारनामा कर दिखाया और शुरुआती पलों में ही विपक्षी टीम के दौ चैंपियन खिलाड़ियों को वापस पवेलियन भेज दिया - विव रिचर्ड्स और ग्रेग चैपल।

भारतीय टीम इस संदर्भ में एक ख़राब बल्लेबाज़ी के प्रदर्शन के बाद गेंदबाज़ी में भी काफ़ी फीकी नज़र आई। पहले ही ओवर में इशांत शर्मा ने काफ़ी खराब ओवर डाला। इंग्लैंड बहुत तेज़ी से एक विशाल स्कोर की तरफ़ आगे बढ़ा। गेंदबाज़ी आक्रमण में इशांत को पहले गेंद थमाना शायद एक ग़लत फ़ैसला था जहां आप रूट जैसे बल्लेबाज़ को जल्दी आउट कर के इंग्लैंड को ज़्यादा स्कोर बनाने नहीं देना चाहते एडिलेड में एक निराशजनक पतन के बाद श्रृंखला जीतने के लिए एक अद्भुत वापसी करनी वाली भारतीय टीम के समक्ष अब हेडिंग्ले के पराजय के बाद ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ की तरह ही एक मुश्किल रास्ता तय करना है।