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अय्यर के संयम से सुरक्षित स्थिति में भारतीय टीम

आप आमतौर पर टेस्ट में पदार्पण करने वाले बल्लेबाज़ के स्ट्राइक-रेट को नहीं देखते हैं, लेकिन जब वह 80 से अधिक के स्ट्राइक-रेट से 4000 प्रथम श्रेणी रन बनाने वाले एकमात्र व्यक्ति हों और उनका औसत 50 से अधिक हो तो स्ट्राइक रेट की बात करना लाज़िमी हो जाता है।

इतना अधिक स्ट्राइक रेट आपको कई बातें बताता है। स्पष्ट है कि श्रेयस अय्यर एक अच्छे बल्लेबाज़ हैं, वह विपक्षी टीम पर हावी रहते हैं लेकिन आपके मन में इस बात को लेकर भी जिज्ञासा होती है कि क्या उस बल्बेबाज़ ने फ़्लैट पिचों पर बल्लेबाज़ी की है। साथ आप यह भी सोचते हैं कि क्या जब परिस्थिति संयमित तरीक़े से खेलने की मांग करती हो तो वह बल्लेबाज़ उस जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकता है या नहीं।

शायद पिछले पैरा के अंतिन प्रश्न का जवाब अय्यर ने अपने पहले ही टेस्ट में एक शतक और एक अर्धशतक लगा कर दे दिया है। दोनों पारियों में अय्यर जब बल्लेबाज़ी करने आए तो ऊपरी क्रम के बल्लेबाज़ों ने रन नहीं बनाया था। साथ ही टीम के दो सीनियर बल्लेबाज़ भी जल्दी आउट हो गए थे। सभी तरीक़ों की कठिनाइयों का सामना करते हुए उन्होंने 61.4 ओर 43.17 के स्ट्राइक रेट से दोनों पारियों में शानदार तरीक़े से अपने खेल को आगे बढ़ाया।

अय्यर का सीमित ओवरों का अंतर्राष्ट्रीय और आईपीएल करियर उनकी बल्लेबाज़ी के बार में कई चीज़े बताता है। वह स्पिन गेंदबाज़ी को काफ़ी अच्छी तरह से खेल सकते हैं और मैदान के चारों तरफ शॉट लगा सकते हैं। इसलिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके द्वारा बनाए गए रनों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

मौजूदा टेस्ट की पहली पारी में टिम साउदी के चोटिल होने के बाद अय्यर ने स्पिनरों के ख़िलाफ़ काफ़ी रन बटोरे। इसके बाद विलियमसन को मजबूर होकर, काइल जेमीसन को वापस गेंदबाज़ी करवाना पड़ा।

अय्यर को तेज़ गेंदबाज़ों के विरूद्ध वनडे मैचों नें भी समस्या हुई है। वह अकेले ऐसे बल्लेबाज़ नहीं हैं, जिन्हें यह समस्या है, ऐसा नहीं है कि अय्यर से तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ होने वाली समस्याओं के बारे में प्रश्न नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि जिस तरीके से इस टेस्ट में उन्होंने इस समस्या का हल ढूंढा है, वह तारीफ़ योग्य है। तेज़ गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ उनकी तकनीक की परीक्षा आगे आने वाले टेस्ट में ज़रूर होगी। इसके बावजू़द हम यह ज़रूर कह सकते हैं कि जिस टेस्ट में आपकी टीम के 17 विकेट में से 14 विकेट तेज़ गेंदबाज़ों ने लिए हों, उस मैच में अय्यर ने तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ बेहतर बल्लेबाज़ी की है।

अय्यर की दोनों पारियों का सबसे प्रभावशाली हिस्सा उनकी जागरूकता रही है कि कब आक्रमण करना है और कब नहीं। पहली पारी में अपना खाता खोलने के लिए उन्होंने जो हवाई शॉट लगाया उसके अलावा, आप यह नहीं कह सकते कि गेंदबाज़ों ने उन्हें एक भी बार बड़ा शॉट खेलने के लिए मजबूर किया। यह प्रथम श्रेणी के अनुभव के मूल्य को दर्शाता है, भले ही उन्हें आख़िरी बार लंबे प्रारूप में खेले हुए तीन साल हो गए हों। यह शायद न्यूज़ीलैंड के स्पिन गेंदबाजों की सटीकता की कमी को भी दर्शाता है, जो सीम गेंदबाज़ो के स्पेल ख़त्म होने के बाद पर्याप्त दबाव नहीं बना सके।

अय्यर ने दिन का खेल ख़त्म होने के बाद स्टार स्पोर्ट्स से कहा, "मैं पहले भी ऐसी स्थितियों में रहा हूं। अपने रणजी दिनों के दौरान, मुझे याद है कि मैं इसी तरह की परिस्थितियों में रहता था। इसलिए मेरी मानसिकता सिर्फ़ एक सत्र को खेलने और अधिक से अधिक गेंदें खेलने की थी। मैं आगे के बारे में नहीं सोच रहा था, मैं सिर्फ़ वर्तमान में रहने और एक समय में एक गेंद के बार में सोचने की कोशिश कर रहा था।"